BA Semester-5 Paper-2A Econimics - Environmental Economics - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2A अर्थशास्त्र - पर्यावरणीय अर्थशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2A अर्थशास्त्र - पर्यावरणीय अर्थशास्त्र

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :224
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2774
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2A अर्थशास्त्र - पर्यावरणीय अर्थशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- पर्यावरणीय अर्थशास्त्र की विषय सामग्री बताइये।

उत्तर -

पर्यावरणीय अर्थशास्त्र की विषय-सामग्री
(Subject Matter of Environmental Economics)

पर्यावरणीय अर्थशास्त्र की विषय-सामग्री के सम्बन्ध में विभिन्न उपागम (approches) हैं जिनका संक्षिप्त वर्णन निम्न प्रकार से है

1. प्राकृतिक स्रोत न्यूनता उपागम (Natural Resources Scarcity Approach)- प्राचीन अर्थशास्त्रियों ने प्राकृतिक स्रोत न्यूनता पर अपने तर्क प्रस्तुत किए हैं। माल्थस ने इस समस्या का विश्लेषण बढ़ती हुई जनसंख्या के सन्दर्भ में किया है। उनके अनुसार यदि खाद्य आपूर्ति के सन्दर्भ में बढ़ती हुई जनसंख्या का दबाव लगातार बना रहता है, तब मानव जीवन की दयनीय स्थिति पूर्व-निर्धारित होगी। अतः जनसंख्या वृद्धि के साथ सीमित प्राकृतिक स्रोतों के कारण आर्थिक विकास की गति बाधित हो जाएगी।

प्रतिष्ठित सम्प्रदाय (classical school) ने पर्यावरण को मुक्त माल के रूप में स्वीकार किया है। लेकिन, समाज द्वारा प्राकृतिक स्रोतों का अत्यधिक दोहन किया गया है जिसके कारण पर्यावरण का क्षय हो रहा है। रिकार्डो का तर्क है कि प्राकृतिक स्रोतों की आपेक्षिक न्यूनता वृद्धिशील अर्थव्यवस्था के लिए एक समस्या है। आपेक्षिक न्यूनता को लागत में वृद्धि करके स्थिर किया जाता है जैसाकि उच्च श्रेणी के स्रोतों जिन्हें उपयोग में लाया जाता है और सभी निम्न श्रेणी के स्रोतों के लिए प्रतिस्थापित किया जाता है।

2. मार्क्सवादी पारिस्थितिकीय उपागम (Marxist Ecological Approach) मार्क्स पूँजीवाद के विरुद्ध थे। पूँजीवाद के अन्तर्गत प्रत्येक पूँजीवादी श्रम बचाने के तरीकों तथा मशीनों द्वारा श्रम के प्रतिस्थापन में व्यस्त रहता है। पूँजीवादियों के द्वारा मशीनों के अत्यधिक अधिष्ठापन से प्राकृतिक पर्यावरण प्रदूषित होता है।

मार्क्स के शब्दों में, "प्राकृतिक शक्तियाँ केवल मशीनों तथा मशीन स्वामियों के द्वारा श्रम प्रक्रियाओं के वाहकों के रूप में विनियोजित होती हैं। इन प्राकृतिक शक्तियों का अनुप्रयोग केवल वहीं सम्भव है जहाँ पर बड़े पैमाने पर मशीनों का उपयोग किया जाता है।"

3. शिकागो उपागम (Chicago Approach) - इस उपागम के अनुसार वास्तविक संसार में बाह्यताओं के कारण बाजार सदैव असफल रहता है। बाह्यताएँ बाजार अपूर्णताएँ होती हैं जहाँ बाजार सेवा अथवा असेवा (disservice) के लिए मूल्य नहीं लेता है। उदाहरण के लिए, आवासीय क्षेत्र में स्थित एक कारखाना धुआँ उत्सर्जित करता है जो वहाँ के आवासीय लोगों के स्वास्थ्य तथा घरेलू वस्तुओं पर हानिकारक प्रभाव डालता है।

उपर्युक्त उदाहरण में, कारखाने का लाभ वहाँ के निवासियों पर निर्भर है जो अपने ऊपर अतिरिक्त खर्च करके अपने को स्वस्थ रखते हैं तथा घर की वस्तुओं को साफ रखते हैं। यह सामाजिक सीमान्त लागत है क्योंकि हानिकारक बाह्यताएँ व्यक्तिगत सीमान्त लागत एवं सामाजिक लागत की तुलना में अधिक होती हैं।

4. संरक्षण उपागम (Conservation Approach) क्रिएसी वान्ट्रप (Criaicy- Wantrup) ने प्राकृतिक स्रोतों के लिए एक सुरक्षित न्यूनतम मानक उपागम का समर्थन किया है। इन स्रोतों की अनिश्चितता एवं अनुत्क्रमणीय क्षति के कारण यह उपागम संरक्षण प्रक्रिया को अपनाने की सलाह देता है जोकि नवीकरणीय स्रोतों के उपयोग के संकटपूर्ण क्षेत्र के एक सुरक्षित न्यूनतम मानक के अभिज्ञान को सम्मिलित करता है।

5. तकनीकी उपागम (Technological Approach) - पर्यावरण के लिए तकनीकी उपागम तकनीकी परिवर्तन की प्रकृति हैं तथा उनके पर्यावरण निहितार्थों के सम्बन्ध पर बल देता है। बैरी कॉमोनर का विश्वास है कि व्यावसायिक फर्मों का मुख्य उद्देश्य आर्थिक तन्त्र में अपने लाभों को अधिकतम बढ़ाना है। इसके अतिरिक्त, व्यावसायिक फर्मों में तकनीक के उन्नयन से वृद्धि हुई है। परन्तु पर्यावरण के साथ क्या हुआ? तकनीकों के उन्नयन से फर्मों का लाभ तो बढ़ा परन्तु इससे पर्यावरण की क्षति में भी अत्यधिक वृद्धि हुई है।

6. नैतिक उपागम (Ethical Approach) - लेस्टर ब्राउन (Lester Brown) के अनुसार, "प्रदूषण केवल एक उपद्रव ही नहीं वरन् उससे भी अधिक है। यह स्थानीय जैविक तंत्र को हानि पहुँचा सकता है और उत्पादकता को भी नष्ट कर सकता है। यह वनों, फसलों एवं मत्स्य क्षेत्रों, स्वच्छ जल की झीलों एवं धाराओं का विनाश कर सकता है, जन्तुओं एवं पौधों की सम्पूर्ण जाति को नष्ट कर सकता है, मानव स्वास्थ्य को हानि पहुँचा सकता है, ओजोन पर्त को तोड़ सकता है, महासागरों एवं वातावरण के मध्य ऑक्सीजन एवं कार्बन-डाइऑक्साइड के विनिमय को बाधित कर सकता है; और वस्त्रों, इमारतों एवं मूर्तियों को भी नष्ट कर सकता है।'

इससे आगे, मनुष्य के समक्ष जनसंख्या वृद्धि एवं जलवायु परिवर्तन नयी चुनौतियाँ हैं। जलवायु परिवर्तन जीवाश्म ईंधनों अथवा कार्बन-आधारित अर्थव्यवस्था के कारण हो रहा है। अतः जलवायु को स्थिर करने की आवश्यकता है। मनुष्य के जनन व्यवहार में भी परिवर्तन आवश्यक है।

7. सामाजिक-आर्थिक आगम (Socio-economic Approach) - डॉ. मोस्तफा के .. तोल्बा (Dr. Mostafa K. Tolba) सामाजिक-आर्थिक उपागम पर बल देते हैं। पर्यावरणीय समस्याएँ पर्याप्त विकास की कमी के कारण उत्पन्न होती हैं। आज कई लाख लोग मूलभूत मानव आवश्यकताओं जैसे पर्याप्त भोजन, आश्रय, वस्त्र एवं स्वास्थ्य के बिना जीवन यापन कर रहे हैं।

यह मानव के लिए केवल एक असहिष्णु स्थिति नहीं है बल्कि इसके गम्भीर परिणाम भी हुए हैं। निष्ठुर दबाव से मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं होती है तथा यह स्रोत आधारों को मिटा देता है परन्तु इससे मनुष्य अयथार्थ रूप से अपना आहार अवश्य प्राप्त करता है।

8. आर्थिक वृद्धि एवं पर्यावरण (Economic Growth and Environment) - विभिन्न अर्थशास्त्रियों जैसे- गालब्रेथ मिशन, बोल्डिंग, नॉरधस, कॉमोनर आदि ने आर्थिक वृद्धि के पर्यावरण पर पड़ने वाले हानिकारक प्रभावों के विषय में अपने विचार प्रस्तुत किए हैं। इन लोगों का विचार है कि आर्थिक वृद्धि ने प्रदूषण उत्पन्न किया है।

9. जनसंख्या वृद्धि एवं पर्यावरणीय संकट (Population Growth and Envirormental Crisis) - नव प्रतिष्ठित (neo-classical) अर्थशास्त्रियों ने पर्यावरणीय संकट एवं जनसंख्या वृद्धि के सम्बन्ध का विश्लेषण किया है। तीव्र जनसंख्या वृद्धि या उच्च जनन दर गरीबी को बढ़ाती है तथा समाज में परिवार के सदस्यों विशेषतया स्त्रियों एवं बच्चों का स्तर नीचे गिरता है। इसके अतिरिक्त, भूमि एवं आवास की कमी के कारण बहुत बड़ी संख्या में लोग संवेदनशील पारिस्थितिक क्षेत्रों में चले जाते हैं। ये लोग खेती के लिए वनों की अन्धाधुंध कटाई करते हैं जिससे प्राकृतिक स्रोतों का शोषण तो होता ही है साथ ही साथ पर्यावरणीय संकट भी बढ़ता है।

10. जलवायु परिवर्तन का प्रभाव (Impact of Climate Change) - जलवायु परिवर्तन का मनुष्य पर सदैव ही प्रभाव होता है। सबसे कठिन एवं चुनौतीपूर्ण समस्याएँ जो इस समय मनुष्य के सामने हैं उनमें वैश्विक उष्णता, अम्लीय वर्षा, ओजोन क्षय, वर्षा के प्रारूप में परिवर्तन आदि शामिल हैं। ये समस्याएँ पारिस्थितिक तंत्र को अत्यधिक प्रभावित कर रही हैं।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- पर्यावरणीय अर्थशास्त्र से आप क्या समझते हैं? इसकी विषय सामग्री को स्पष्ट कीजिए।
  2. प्रश्न- पर्यावरणीय अर्थशास्त्र की विषय सामग्री बताइये।
  3. प्रश्न- पारिस्थितिक तन्त्र से आप क्या समझते हैं? इसकी संरचना को समझाइये।
  4. प्रश्न- पारिस्थितिक तन्त्र की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
  5. प्रश्न- पारिस्थितिक तन्त्र की संरचना बताइए।
  6. प्रश्न- पारिस्थितिक तन्त्र के प्रकार बताइए तथा पारिस्थितिक तन्त्र के महत्व का वर्णन कीजिए।
  7. प्रश्न- विकास में पारिस्थितिक तन्त्र का महत्व क्या है?
  8. प्रश्न- पेरेटो की सामान्य कल्याण की इष्टतम् दशाओं की विवेचना कीजिए।
  9. प्रश्न- कल्याणवादी अर्थशास्त्र में पैरेटो अनुकूलतम की शर्तें पूर्ण प्रतियोगिता में कैसे पूरी होती हैं? .आलोचनात्मक वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- पर्यावरणीय अर्थशास्त्र की अवधारणाएँ समझाइए।
  11. प्रश्न- पेरेटो के कल्याण अर्थशास्त्र की अथवा इससे सम्बद्ध अनुकूलतम शर्तों की मान्यताएँ बताइए।
  12. प्रश्न- बाजार असफलता क्या है?
  13. प्रश्न- बाजार असफलताओं के कारण समझाइये।
  14. प्रश्न- बाह्यताओं का आशय बताइये।
  15. प्रश्न- बाह्यताओं के प्रकार समझाइये।
  16. प्रश्न- भारत में पर्यावरणीय नीतियों के संक्षिप्त अवलोकन का वर्णन कीजिए।
  17. प्रश्न- भारत की पर्यावरणीय नीति के सिद्धान्त बताइये।
  18. प्रश्न- पर्यावरण नीति बताइये।
  19. प्रश्न- राष्ट्रीय पर्यावरणीय नीति, 2006 क्या हैं?
  20. प्रश्न- राष्ट्रीय पर्यावरण नीति, 2006 के उद्देश्य बताइए।
  21. प्रश्न- पर्यावरण में वृहत आर्थिक नीति की भूमिका की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  22. प्रश्न- राष्ट्रीय जल नीति को स्पष्ट कीजिए।
  23. प्रश्न- भारत में वन नीति को समझाइए।
  24. प्रश्न- सतत विकास को प्राप्त करने में पर्यावरणीय नीति कहाँ तक सहायक रही है?
  25. प्रश्न- पर्यावरणीय प्रदूषण नियंत्रण हेतु नीतिगत उपकरण बताइये।
  26. प्रश्न- पीगूवियन कर क्या है?
  27. प्रश्न- सीमा पार पर्यावरणीय मुद्दों से आप क्या समझते हैं?
  28. प्रश्न- जलवायु परिवर्तन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  29. प्रश्न- अर्थव्यवस्था पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का वर्णन कीजिए।
  30. प्रश्न- पर्यावरणीय मूल्यांकन से आप क्या समझते हैं? इसके मूल्यांकन की विधियों को बताइये। पर्यावरणीय मूल्यांकन की स्पष्ट अधिमान विधियों का विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- पर्यावरणीय मूल्यांकन की विभिन्न विधियाँ क्या हैं?
  32. प्रश्न- पर्यावरणीय मूल्यांकन की अभिव्यक्त अधिमान विधियों का वर्णन कीजिए।
  33. प्रश्न- पर्यावरणीय मूल्यांकन की प्रकरित अधिमान विधियों का वर्णन कीजिए।
  34. प्रश्न- आनन्द कीमत विधि क्या है? रेखाचित्र की सहायता से स्पष्ट कीजिए तथा इसकी आलोचनाएँ भी बताइए।
  35. प्रश्न- प्रतिबन्धात्मक व्यय विधि को समझाइये।
  36. प्रश्न- टिप्पणी लिखिए - (a) प्रतिनिधि बाजार रीति तथा (b) सम्पत्ति मूल्य रीति।
  37. प्रश्न- मजदूरी-विभेदात्मक उपागम बताइये।
  38. प्रश्न- पर्यावरणीय मूल्यांकन की लागत आधारित विधियाँ का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  39. प्रश्न- पुनः स्थानीयकरण लागत रीति विशेषताएँ क्या है?
  40. प्रश्न- प्रतिस्थापन लागत विधि क्या है? इस विधि को रेखाचित्र की सहायता से स्पष्ट कीजिए।
  41. प्रश्न- विकास मॉडल की सामाजिक सीमाएँ सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- हरित लेखांकन से आप क्या समझते हैं?
  43. प्रश्न- पर्यावरणीय मूल्यांकन की आवश्यकता बताइए।
  44. प्रश्न- परिमाण प्रत्युत्तर विधि को बताइए।
  45. प्रश्न- मानव पूँजी अथवा पूर्वानुमानित विधि को समझाइए।
  46. प्रश्न- पर्यावरणीय अधिप्रभाव आंकलन के निर्देशक सिद्धान्त क्या हैं?
  47. प्रश्न- पर्यावरण नीति व विनियमों का लागत लाभ विश्लेषण का विश्लेषण कीजिए।
  48. प्रश्न- पर्यावरणीय मूल्यों की माप में आने वाली कठिनाइयों का वर्णन कीजिए।
  49. प्रश्न- पर्यावरणीय मूल्यों के मापन से आप क्या समझते हैं?
  50. प्रश्न- पर्यावरणीय क्षति से आप क्या समझते हैं?
  51. प्रश्न- पर्यावरणीय मूल्यों से आप क्या समझते हैं?
  52. प्रश्न- पर्यावरणीय मूल्यांकन की आवश्यकता बताइए।
  53. प्रश्न- सतत् विकास से आप क्या समझते हैं?
  54. प्रश्न- सतत् विकास को प्राप्त करने के लिए उपायों का वर्णन कीजिए।
  55. प्रश्न- सतत् विकास के अवरोधक घटकों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  56. प्रश्न- सतत् विकास के संकेतकों या मापकों का वर्णन कीजिए।
  57. प्रश्न- सतत् विकास के लिए भारत द्वारा क्या प्रयास किये जा रहे हैं?
  58. प्रश्न- सतत् विकास की रणनीति पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  59. प्रश्न- बाह्यताओं का पीगूवियन विश्लेषण समझाइये।
  60. प्रश्न- बाह्यताओं के प्रकार समझाइये।
  61. प्रश्न- उत्पादन की सकारात्मक बाह्यताओं को पीगू के विश्लेषण के अनुसार समझाइए।
  62. प्रश्न- पीगू के विश्लेषण के अनुसार उत्पादन की नकारात्मक बाह्यताएँ समझाइए।
  63. प्रश्न- उपभोग में सकारात्मक बाह्यताओं पर टिप्पणी लिखिए तथा इसमें नकारात्मक बाह्यताएँ समझाइए।
  64. प्रश्न- सार्वजनिक वस्तुओं से आप क्या समझते हैं? इनकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए। बाह्यताओं तथा बाजार विफलताओं को किस प्रकार समाप्त किया जा सकता है? विस्तारपूर्वक स्पष्ट कीजिए।
  65. प्रश्न- सार्वजनिक खराबी किसे कहते हैं?
  66. प्रश्न- सार्वजनिक वस्तुएँ क्या विशेषताएँ रखती हैं?
  67. प्रश्न- बाह्यताओं एवं बाजार विफलताओं को दूर करने के उपाय बताइये।
  68. प्रश्न- कल्याणकारी अर्थशास्त्र को परिभाषित कीजिए। कल्याणकारी अर्थशास्त्र में नैतिक निर्णयों का क्या स्थान है?
  69. प्रश्न- कल्याणकारी अर्थशास्त्र में नैतिक निर्णयों का क्या स्थान है?
  70. प्रश्न- पीगू के कल्याणवादी अर्थशास्त्र की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  71. प्रश्न- बाजार असफलता क्या है?
  72. प्रश्न- बाजार असफलता किन दशाओं में सम्भव है?
  73. प्रश्न- पीगूवियन सब्सिडी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  74. प्रश्न- बाह्यताओं के समाधान हेतु सुझाव क्या हैं?
  75. प्रश्न- बाजार असफलताओं के कारण समझाइये।
  76. प्रश्न- सम्पत्ति अधिकारों के सम्बन्ध में प्रो. रोनाल्ड कोज की प्रमेयों का वर्णन कीजिए।
  77. प्रश्न- प्रो. आर. कोज द्वारा सम्पत्ति अधिकारों के सम्बन्ध में बतायी गयी द्वितीय प्रमेय को समझाइये।
  78. प्रश्न- कोज द्वारा बताए गए प्रमेयों का महत्व समझाइए।
  79. प्रश्न- सम्पदा अधिकार के विभिन्न प्रकारों को बताइए।
  80. प्रश्न- मानव पूँजी के अवयव लिखिए।
  81. प्रश्न- पर्यावरण एक सार्वजनिक वस्तु है। समझाइए।
  82. प्रश्न- पर्यावरणीय गुणवत्ता का आशय एवं महत्व बताइये।
  83. प्रश्न- इको लेबलिंग (Eco Labelling) का क्या अर्थ है?
  84. प्रश्न- पर्यावरण दक्षता (Eco Efficiency) से आप क्या समझते हैं?
  85. प्रश्न- पर्यावरणीय प्रबन्ध प्रणाली से आप क्या समझते हैं? इसके लक्षण बताइए। इसके लक्ष्यों को भी लिखिए।
  86. प्रश्न- पर्यावरणीय प्रबन्ध प्रणाली के लक्षण बताइए।
  87. प्रश्न- पर्यावरणीय प्रबन्ध प्रणाली के लक्ष्य बताइये।
  88. प्रश्न- पर्यावरणीय प्रबन्ध प्रणाली के लाभ बताइये। सतत् सुधार चक्र को समझाइये।
  89. प्रश्न- पर्यावरणीय अंकेक्षण से आप क्या समझते हैं? इसके कार्यक्षेत्र तथा आवृत्ति को बताइए। पर्यावरणीय अंकेक्षण के क्या लाभ होते हैं?
  90. प्रश्न- पर्यावरणीय अंकेक्षण की आवश्यकता बताइये।
  91. प्रश्न- पर्यावरणीय अंकेक्षण का कार्यक्षेत्र समझाइए। यह किसे करना चाहिए?
  92. प्रश्न- पर्यावरणीय अंकेक्षण के लाभ बताइये।
  93. प्रश्न- पर्यावरण की सुरक्षा के बारे में भारतीय संविधान के प्रावधान बताइये।
  94. प्रश्न- पर्यावरणीय प्रबन्धन क्या है?
  95. प्रश्न- प्राकृतिक संसाधन प्रबन्ध से आपका क्या तात्पर्य है?
  96. प्रश्न- पर्यावरणीय अंकेक्षण कार्यक्रम पर टिप्पणी लिखिए।
  97. प्रश्न- पर्यावरणीय अंकेक्षण प्रोटोकॉल का वर्णन कीजिए।
  98. प्रश्न- प्रभावी पर्यावरणीय प्रबन्ध प्रणाली के प्रमुख तत्व बताइये।
  99. प्रश्न- पर्यावरण शिक्षा का आशय एवं परिभाषा बताइये। पर्यावरण शिक्षा की आवश्यकता एवं महत्व को स्पष्ट करते हुए इसके क्षेत्र का वर्णन कीजिए।
  100. प्रश्न- पर्यावरण शिक्षा की आवश्यकता एवं महत्व को समझाइये।
  101. प्रश्न- पर्यावरण शिक्षा के कार्यक्षेत्र को स्पष्ट कीजिए।
  102. प्रश्न- मूल्य-आधारित पर्यावरणीय शिक्षा क्या है? इसका महत्व एवं आवश्यकता का वर्णन कीजिए।
  103. प्रश्न- मूल्य आधारित पर्यावरणीय शिक्षा का महत्व एवं आवश्यकता समझाइये।
  104. प्रश्न- पर्यावरणीय शिक्षा को प्रभावी बनाने हेतु उपायों का विश्लेषणात्मक वर्णन कीजिए।
  105. प्रश्न- पर्यावरणीय जागरूकता से आप क्या समझते हैं? पर्यावरणीय जागरूकता / शिक्षा के उपाय बताइये।
  106. प्रश्न- भारत में पर्यावरणीय शिक्षा पर लेख लिखिए।
  107. प्रश्न- पर्यावरण शिक्षा की प्रमुख समस्याओं का वर्णन कीजिए।
  108. प्रश्न- पर्यावरण शिक्षा के प्रसार के अवरोधों को दूर करने के उपायों का वर्णन कीजिए।
  109. प्रश्न- पर्यावरणीय विधान पर टिप्पणी लिखिए।
  110. प्रश्न- वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियन्त्रण) अधिनियम, 1981 में वायु प्रदूषण के निवारण एवं नियन्त्रण के सम्बन्ध में कौन-कौन से प्रावधान किये गये हैं? समझाइये।
  111. प्रश्न- विश्व व्यापार संगठन एवं पर्यावरण पर लेख लिखिए।
  112. प्रश्न- विश्व व्यापार संगठन के अन्तर्गत व्यापार तथा पर्यावरणीय मुद्दों को समझाइये।
  113. प्रश्न- "जनसंख्या, निर्धनता तथा पर्यावरण एक-दूसरे से घनिष्ठ रूप से सम्बन्धित है।' विश्लेषण कीजिए।
  114. प्रश्न- आर्थिक विकास एवं स्वास्थ्य के मध्य सम्बन्ध का परीक्षण कीजिए।
  115. प्रश्न- विश्व व्यापार संगठन क्या है?
  116. प्रश्न- विश्व व्यापार संगठन के उद्देश्य बताइये।
  117. प्रश्न- व्यापार एवं पर्यावरण में सम्बन्ध लिखिए।
  118. प्रश्न- पर्यावरण पर मनुष्य का क्या प्रभाव पड़ा है?
  119. प्रश्न- लिंग समानता तथा पर्यावरण को बताइये।
  120. प्रश्न- ग्रीन हाउस प्रभाव से आप क्या समझते हैं?
  121. प्रश्न- वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियन्त्रण) अधिनियम, 1981 में वायु प्रदूषण के निवारण एवं नियन्त्रण के सम्बन्ध में कौन-कौन से प्रावधान किये गये हैं? समझाइये।
  122. प्रश्न- पारिस्थितिकी तन्त्र (Eco System) पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  123. प्रश्न- यूरो मानक से क्या समझते हो?
  124. प्रश्न- भारतीय उत्सर्जन मानक (BS) पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  125. प्रश्न- प्रमुख वैश्विक पर्यावरण मुद्दों का वर्णन कीजिए।
  126. प्रश्न- वैश्विक ऊष्मीकरण या वैश्विक उष्मण।
  127. प्रश्न- मरुस्थलीयकरण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  128. प्रश्न- ओजोन परत व उसके क्षरण पर टिप्पणी लिखिए।
  129. प्रश्न- अम्लीय वर्षा से आप क्या समझते हैं?
  130. प्रश्न- पर्यावरण संरक्षण में भारत की न्यायपालिका की सक्रियता या भूमिका का वर्णन कीजिए।
  131. प्रश्न- कार्बन ट्रेडिंग या कार्बन व्यापार से आप क्या समझते हैं?

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